मास्टरक्लास के दौरान, लिलिपुट ने अभिनय के लिए अपनी दीवानगी बयान की, जो उनके स्कूल के वर्षों में गया में शुरू हुआ, कैसे उन्होंने उस जुनून को अपनी यात्रा में मार्गदर्शन करने दिया,जो उनके पूरे करियर में प्रेरणाएँ थीं और इंडस्ट्री में भी जो बदलाव हुए हैं उस बारें में उन्होंने बात की।
इसके बाद उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभवों और छोटी सी कहानियों के बारे में बताया जो शायद आगे चलकर महत्वाकांक्षी अभिनेता अपने करियर में उस हालात से गुजरेंगे। उन्होंने इस बारे में बात की कि कैसे उनके बौनेपन ने उन्हें मजबूत बनाया, क्योंकि उन्हें उस भेदभाव पर हँसना पड़ा तांकि उस बीच रहकर वो आराम से कार्य कर सके। उन्होंने ये भी कहा कि उन्होंने अपने करियर की शुरुआत में यह बात महसूस की थी कि शारीरिक रूप से विकलांग किरदार करना आसान हैं उदाहरण के लिए लंगड़ा या अंधे का रोल करना , लेकिन बौनापन कोई ऐसी चीज नहीं है जिसकी नकल एक सक्षम व्यक्ति इतनी आसानी से कर सकता है, क्योंकि ये कोई वास्तविक विकलांगता नहीं है। बस एक छोटा सा कद हैं। फिर उन्होंने दर्शकों को, सभी अभिनेताओं और इच्छुक अभिनेताओं को एक दिए गए दृश्य को करने के लिए कहा, और उन्हें सभी को सलाह दी कि कैसे खुद को और अधिक स्पष्ट रूप से महसूस किया जाए जब आप अभिनय करते हैं।
यह मास्टरक्लास अंधेरी में सिंटा कार्यालय में सदस्यों टीना घई, अभय भार्गव, संजय भाटिया और सतीश वासन की उपस्थिति में आयोजित किया गया था।
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